गुरुवार, 8 दिसंबर 2016

व्यञ्जन सन्धि

प्रश्न - व्यञ्जन सन्धि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । 
उत्तर -  व्यञ्जन वर्ण के साथ स्वर वर्ण या व्यंजन वर्ण के साथ व्यंजन  या स्वर वर्ण के साथ व्यंजन वर्ण के मेल से जो विकार उत्पन्न हो या परिवर्तन हो , उसे व्यंजन संधि कहते हैं ।  इस संधि में दो   वर्णों में से एक वर्ण  व्यंजन या दोनों वर्ण व्यजन हो सकते  हैं किन्तु दोनों वर्ण स्वर नहीं हो सकते। जैसे - 
दिक् + गज   = दिग्गज   ( यहाँ व्यंजन से व्यंजन वर्ण का मेल हुआ है ) 
अभि + सेक  = अभिषेक  ( यहाँ स्वर  से व्यंजन वर्ण का मेल हुआ है ) 
सत् + चित + आनंद  = सच्चिदानंद  ( यहाँ व्यंजन से व्यंजन एवं व्यंजन से  स्वर का मेल हुआ है ) 
व्यंजन संधि के नियम
1. यदि क्, च्, ट्, त्, प् के बाद किसी वर्ग ( क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग,प वर्ग ) का तृतीय(ग्,ज्,ड्,द्,ब्) या चतुर्थ वर्ण(घ्,झ्,ढ्,ध्,भ्)  आए अथवा य्,र्,ल्,व् या कोई स्वर आए तो अपने ही वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है जैसे क् के स्थान पर ग, च् के स्थान पर ज्, ट् के स्थान पर ड्, त् के स्थान पर द्,और प के स्थान पर ब् हो जाता है |
क्+(ग्,ज्,ड्‍,द्,ब्  घ्,झ्,ढ्‍,ध्,भ्  य्,र्,ल्,व्,कोई स्वर)= ग्
च्+(ज्,झ् ,ग्,ड्‍,द्,ब् ,घ्,ढ्‍,ध्,भ् य्,र्,ल्,व्,कोई स्वर)= ज्
ट्+(ड्,ढ्, ग्,ज्,द्,ब् ,घ्,झ्,ध्,भ् य्,र्,ल्,व्,कोई स्वर)=  ड्  
त्+(द्,ध्, ग्,ज्,ड्‍,ब्  घ्,झ्,ढ्‍,भ् य्,र्,ल्,व्,कोई स्वर)=  द्  
प्+(ब्, भ्ग्,ज्,ड्‍,द्, घ्,झ्,ढ्‍,ध्, य्,र्,ल्,व्,कोई स्वर)=  ब्  
दिक् + गज = दिग्गज
अच् + अंत = अजन्त
षट्  + दर्शन = षड्दर्शन 
जगत् + आनन्द = जगदानंद
अप्  + इंधन = अबिंधन
अप् + आदान = अबादान
2. यदि क्, च्, ट्, त्, प् के बाद न् या म् आए तो क्, च्, ट्, , प्  अपने वर्ग के पंचम वर्ण में बदल जाते हैं|
उदाहरण
क् + ( न्, म् ) = ङ्
च् + ( न्, म् ) = ञ्
ट् + ( न्, म् ) = ण
त् + ( न्, म् ) = न्
प् + ( न्, म् ) = म्
वाक् + मय  = वाङमय
षट् + मार्ग = षण्मार्ग
उत्  + नति = उन्नति
तत् + मय  = तन्मय
पच्  + नम  = पञ्चम
अप् + मय  = अम्मय
तत्+ मात्रा = तन्मात्रा
3. त्, या द् सम्बन्धी नियम -
(क) त्, या द् के बाद यदि च् या छ् हो तो त्, या द् के स्थान पर च् हो जाता है | जैसे उत् + चारण = उच्चारण,  प्रति+छाया = प्रतिच्छाया, प्रति+ छवि = प्रतिच्छवि आदि  
(ख) त्, या द् के बाद यदि ज् या झ् हो तो त्, या द् के स्थान पर ज् हो जाता है |जैसे- सत् + जन = सज्जन, उत+ ज्वल = उज्ज्वल, यावत + जीवन = यावज्जीवन, विपद + जाल = विपज्जाल आदि  
(ग) त्, या द् के बाद यदि ल् हो तो त्, या द् के स्थान पर ल् हो जाता है | जैसे- उत् + लास = उल्लास, उत्+ लेख = उल्लेख, विपद + लीन = विपल्लीन,  विद्युत्+ लेखा = विद्युल्लेखा आदि   
(घ) त्, के बाद ण् हो तो त् के स्थान पर ण् हो जाता है| जैसे महत् + णकार = महण्णाकार
(ङ) त् के बाद यदि ट् हो तो त् के स्थान पर ट् हो जाता है
 जैसे वृहत् + टिट्टिभ = वृहट्टिट्टिभ
(च) यदि त्, या द् के बाद श् हो तो त्, या द् के स्थान पर च् हो जाता है और श के स्थान पर छ हो जाता है | जैसे- उद + श्वसन = उच्छवसन, उद + श्रंखल = उच्छृंखल
(छ) यदि त्, या द् के बाद ह हो तो ह के स्थान पर ध हो जाता है| जैसे तत् + हित = तध्दित, उत् + हरण = उध्दरण, उत + हार = उध्दार, पद + हति = पध्दति  
4. यदि म् के बाद किसी स्पर्श वर्ण (कवर्ग,च वर्ग,ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग) आए या अन्तस्थ वर्ण ( य,,,व), ऊष्म वर्ण ( श,,स ह) आए  तो म् अनुस्वार में बदल जाता है या बाद आने वाले वर्ण के पंचम व्यंजन में हो जाता है | जैसे
सम् + तोष  = संतोष
किम्+ चित् = किंचित या किञ्चित
सम् + कल्प = संकल्प
सम् + षय  = संशय
सम् + वाद  = संवाद
सम् + गम  = संगम
सम् + सार  = संसार
अहम् + कार = अहंकार

5. यदि स के पूर्व अ, आ के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आए तो स का ष हो जाता है | जैसे
अभि + सेक = अभिषेक, वि + सम = विषम, नि +सिध्द = निषिध्द, प्रति+ स्थान = प्रतिष्ठान, अधि + स्थाता = अधिष्ठाता, सु +स्मिता = सुष्मिता, उपनि + सद = उपनिषद, युधि + स्थिर = युधिष्ठिर, सु+ सुप्त = सुसुप्त आदि    
6. यदि छ के पूर्व कोई स्वर हो तो छ के स्थान पर च्छ हो जाता है| जैसे  आ + छादन = आच्छादन, तरु + छाया = तरुच्छाया, प्र+ छन्न = प्रच्छन्न,
7. त वर्ग को छोड़कर शेष वर्गों के पूर्व स् आने पर स् के स्थान पर श् या ष् हो जाता है|जैसे- दुस् + काल = दुष्काल, निस्+पक्ष=निष्पक्ष, परि + कार = परिष्कार 
8. सभी वर्गों के अंतिम तीन वर्णों में से किसी भी वर्ण के पूर्व या अन्तस्थ वर्णों के पूर्व स् वर्ण आए तो स् के स्थान पर र् हो जाता है|
जैसे -

दुस् + जन = दुर्जन
निस् + मल = निर्मल
दुस् + भाग्य = दुर्भाग्य
दुस् + बल = दुर्बल
दुस् + यश = दुर्यश
दुस् + वचन = दुर्वचन
9. ऋ,या र् या ष् के बाद न आए तो न बदलकर ण हो जात है| जैसे-

ऋ + न = ऋण 
भूष् + न = भूषण
प्र+ मान = प्रमाण 
 परि+ नाम = परिणाम 

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